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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org निव्वाणं संपत्तो चउदसभत्तेण पढमजिणचंदो । सेसा उ मासिएणं वीरजिगिंदो य छट्टेणं एगागी वीरजिणो तित्तीसमुणीहि संजुओ पासो । पंचहि सएहिं छत्तीसएहि नेमी गओ सिद्धि मल्लिसुपासा पंचहि सएहिं छहि वासुपुज्जजिणचंदो । अहिं सहि धम्मो तिउत्तरेहिं च पउमाभो नवहि सएहि संती छहिं सहस्सेहिं परिव्वुडो विमलो। उस दस सत्तणंतो सेसा उ सहस्सपरिवारा इय इक्कवीसठाणा उद्धरीय सिद्धसेणसूरीहिं । चवीसजिणवराणं असेससाहारणा भणिया पू.मु. श्री उत्तमऋषि विरचितम् ॥ शतपञ्चाशितिका संग्रहणी ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उसभ अजिओ संभव अभिनंदण सुमई सुप्पभसुपासो । ससि पुप्फदंत सीयल सिज्जंसो वासुपुज्जो य विमल मणंत य धम्मो, संती कुंथु अरो य मल्ली य । मुणिसुव्वय नमि नेमी, पासो तह वद्धमाणो य इखागभूमि ओज्जा सावत्थी विणीय कोसलपुरं च । कोसंब वाणारसी चंद्राणण तह य कायंदी भद्दिलपुरं सीहपुरं चंपा कंपिल्ल अज्ज रयणपुरं । तिण्णेव गयपुरम्मि मिहिला तह चेव रायगिहं 32 For Private And Personal Use Only ॥ ६२ ॥ ॥ ६३ ॥ ॥ ६४ ॥ ॥ ६५ ॥ ॥ ६६ ॥ ॥ १ ॥ ॥ २ ॥ ॥ ३ ॥ 118 11
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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