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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कच्छु सुकच्छो य महाकच्छो कच्छावई तहा। आवत्तो मंगलावत्तो पुक्खलो पुरक्खलावई ।। १५४ ॥ वच्छु सुवच्छो य महावच्छो वच्छावइ वि य । रम्मो य रम्मओ चेव रमणी मंगलावइ ॥ १५५ ॥ पम्हु सुपम्हो य महापम्हो पम्हावई तओ। संखो णलिणणामा य कुमुओ णलिणावई ।। १५६ ॥ वप्पु सुवप्पो अ महावप्पो वप्पावइ ति य । वग्गू तहा सुवग्गू य गंधिलो गंधिलावई ।। १५७ ॥ एए पुव्वावरगय विअड्ढदलिय त्ति णइदिसिदलेसु। भरहद्धपुरिसमाओ इमेहि णामेहि णयरीओ ॥ १५८॥ खेमा खेमपुरा वि अ अद्धि रिट्ठावई य णायव्वा । खग्गी मंजूसा वि य ओसहिपुरि पुंडरिगिणीय ॥ १५९ ॥ सुसीमा कुंडला चेव अवराइअ पहंकरा । अंकावइ पम्हावइ सुभा रयणसंचया ॥ १६०॥ आसपुरा सीहपुरा महापुरा चेव हवइ विजयपुरा । अवराइया य अवरा असोगा तह वीअसोगा य ॥ १६१ ॥ विजयाय वेजयंती जयंति अपराजिया य बोधव्वा । पक्कपुरा खरगपुरा होइ अवज्झा अउज्झा य ॥ १६२ ॥ कुंडुब्भवा उ गंगासिंधूओ कच्छपम्हपमुहेसु । अट्ठट्ठसु विजएसुं सेसेसु य रत्त रत्तवई ॥ १६३ ॥ अविवक्खिऊण जगई सवेइवणमुहचउक्कपिहुलत्तं । गुणतीससय दुवीसा णइंति गिरिअंति एगकला ॥१६४ ।। पणतीस सहस चउसय छडुत्तरा सयल विजय विक्खंभो। वणमुह दुग विक्खंभो अडवण्णसया य चोयाला ॥१६५ ॥ 335 For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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