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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पणखित्तमहणईओ सदारदिसि दह विसुद्धगिरिअद्धं । गंतूण सजिब्भीहिं णिअणिअकुंडेसु णिवडंति ॥ ५८॥ णिअजिब्भिअपिहुलत्ता पणवीसंसेण मुत्तु मज्झगिरिं । जाममुहा पुव्वुदहि इअरा अवरोअहिमुर्विति ।। ५९॥ हेमवइ रोहिअंसा रोहिआ गंगदुगुणपरिवारा । एरणवए सुवण्णरूप्पकूलाओ ताण समा ॥ ६०॥ हरिवासे हरिकंता हरिसलिला गंगचउगुणणईआ। एसि समा रम्मयए णरकंता णारिकंता य ।। ६१ ॥ सीओआ सीआओ महाविदेहम्मि तासु पत्तेअं। णिवडइ पणलक्ख दुतीससहस अडतीस णइसलिलं ॥६२ ।। कुरुणइ चुलसीसहसा छच्चेवंतरणईओ पइविजयं । दो दो महाणईओ चउदसहस्सा उ पत्तेअं ॥ ६३ ॥ अडसयरि महाणईओ बारस अंतरणईउ सेसाओ। परिअरणई चउद्दसलक्खा छप्पण्णसहसा य ॥ ६४॥ एगारडणवकूडा कुलगिरिजुअलत्तिगे वि पत्तेअं। इइ छप्पण्ण चउ चउ वक्खारेसु त्ति चउसट्ठी || ६५ ॥ सोमणसगंधमाइणि सग सग विज्जुप्पभिमालवंति पुणो।। अट्ठट्ठसयलतीसं अड णंदणि अट्ठ करिकूडा ॥६६॥ इअ पणसयउच्च छासट्ठिसउ (य) कूडा तेसु दीहर गिरीणं । पुव्वणइमेरुदिसि अंत सिद्धकूडेसु जिणभवणा ॥ ६७॥ ते सिरि गिहाओ दोसयगुणप्पमाणा तहेव तिदुवारा । णवरं अडवीसाहिअसयगुणदारपमाणमिह ॥ ६८॥ पणवीसं कोससयं समचउरंसवित्थडा दुगुणमुच्चा। पासाया कूडेसु पणसयउच्चेसु सेसेसु ।। ६९ ॥ ૩૨૮ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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