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सासाणं छावलियं, तुरियं तित्तीससागरा अहिया । पंचममह तेरसमं, देसूणा पुव्वकोडी य चरिमं हस्सपणक्खरउग्गिरणपमाणयं भवत्थाणं । सिद्धाणमणंतद्धं, अंतमुहुत्तं तु सेसाणि समओ उ जहण्णेणं, पमत्तसासणुवसंतमोहाणं । देससजोगि असंजयमिच्छत्ताणं मुहुत्तंतो अस्संखाउयतिरिया, विमाणिणो पढमपुढविनेरइया । मणुयाय तिसम्मत्ता, वेयगउवसामगा सेसा अप्पज्जत्तमणुस्सा, वेडव्विय मीसमीसदिट्ठी य । तह सुहुमसंपराया, परिहारियछेयचारित्ता अप्पुव्वकरणअनियट्टि य बायरा तहुवसंतमोहा य । आहारग मीसो विय, सासणदिट्ठी य भयणिज्जा सामण्णं एवं सत्तावण्णा विसेसहेऊणं । सा आहारदुगूणा, पणवण्णा मिच्छदिट्ठिस्स मिच्छत्तपंचगूणा, सासणदिट्ठिस्स होइ पण्णासा । परलोगगमणविरहा, सम्मामिच्छस्स पुण एसा ओरालमिस्सवेउव्वमिस्सकम्मणसरीरजोगेहिं | तह अताणुबंधीहि विरहिया होइ तेयाला पुव्वुत्तजोगजुत्ता, स च्चिय पुणरवि य मरणसब्भावा । अविरयसम्मद्दिट्ठिस्स बंधहेऊण छायाला
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ओरालमिस्सकम्मणजोगा तससंजमेहि परिहीणा । बीयकसाएहि चिय, विरयाविश्यम्मि गुणचत्ता अविरइमिक्कारसहा, पच्चक्खाणे य चइय तत्थेव पक्खिवियाहारदुगं, पमत्तविरयस्स छव्वीसा
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