SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सासाणं छावलियं, तुरियं तित्तीससागरा अहिया । पंचममह तेरसमं, देसूणा पुव्वकोडी य चरिमं हस्सपणक्खरउग्गिरणपमाणयं भवत्थाणं । सिद्धाणमणंतद्धं, अंतमुहुत्तं तु सेसाणि समओ उ जहण्णेणं, पमत्तसासणुवसंतमोहाणं । देससजोगि असंजयमिच्छत्ताणं मुहुत्तंतो अस्संखाउयतिरिया, विमाणिणो पढमपुढविनेरइया । मणुयाय तिसम्मत्ता, वेयगउवसामगा सेसा अप्पज्जत्तमणुस्सा, वेडव्विय मीसमीसदिट्ठी य । तह सुहुमसंपराया, परिहारियछेयचारित्ता अप्पुव्वकरणअनियट्टि य बायरा तहुवसंतमोहा य । आहारग मीसो विय, सासणदिट्ठी य भयणिज्जा सामण्णं एवं सत्तावण्णा विसेसहेऊणं । सा आहारदुगूणा, पणवण्णा मिच्छदिट्ठिस्स मिच्छत्तपंचगूणा, सासणदिट्ठिस्स होइ पण्णासा । परलोगगमणविरहा, सम्मामिच्छस्स पुण एसा ओरालमिस्सवेउव्वमिस्सकम्मणसरीरजोगेहिं | तह अताणुबंधीहि विरहिया होइ तेयाला पुव्वुत्तजोगजुत्ता, स च्चिय पुणरवि य मरणसब्भावा । अविरयसम्मद्दिट्ठिस्स बंधहेऊण छायाला Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ओरालमिस्सकम्मणजोगा तससंजमेहि परिहीणा । बीयकसाएहि चिय, विरयाविश्यम्मि गुणचत्ता अविरइमिक्कारसहा, पच्चक्खाणे य चइय तत्थेव पक्खिवियाहारदुगं, पमत्तविरयस्स छव्वीसा ૨૨ For Private And Personal Use Only ॥ १२ ॥ ॥ १३ ॥ ॥ १४ ॥ ॥ १५ ॥ ॥ १६ ॥ ॥ १७ ॥ ॥ १८ ॥ ॥ १९ ॥ ॥ २० ॥ ॥ २१ ॥ ॥ २२ ॥ ॥ २३ ॥
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy