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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ५९ ॥ सत्तावण्ण सहस्सा, धणुपट्ट तेणउय दुसय दस य कला । बाहा बाणउइ सया, छसत्तरा नव कलद्धं च ।। ५७ ॥ एगुत्तरा नव सया, तेवत्तरिमेव जोयणसहस्सा । जीवा सत्तरस कला, अद्धकला चेव हरिवासे ।। ५८ ॥ बाहा तेर सहस्सा, एगट्ठा तिसय छक्कलद्धकला। धणुपट्ठ कलं चउक्कं, चुलसीइ सहस्स सोलहिया चउणउइ सहस्साइं छप्पण्णहिय सयं कला दो य । जीवा निसहस्सेसा, धणुपटुं से इमं होइ ॥६०॥ लखं चउवीस सहस्स ति सय छायाल नव कलाओ य। बाहा पण्णटू सयं, सहस्स वीसं दुकल अद्धं ॥६१ ॥ सत्तट्ठा सत्त सया, तेत्तीस सहस्स सत्त य कलद्धं । बाहा विदेहवासे, मज्झे जीवा सयसहस्सं ॥ ६२॥ उभओ से धणुपटुं, लक्खं अडवण्ण जोयणसहस्सा। सयमेगं तेरहियं, सोलस य कला कलद्धं च ॥६३ ॥ खित्तस्स पयरगणिए, जिट्टकणिट्ठाण तस्स जीवाणं । काउं समासमद्धं गुणेहिं तस्सेव वासेणं ।। ६४ ॥ पयरं उस्सेहगुणं, घणगणियं पव्वयाण जे उ समा। पयरं उव्वेहगुणं, लवणविवज्झाण उयहीणं ।। ६५ ।। जीवावगं जेट्ठमियरं च मेलेउ तस्स अद्धस्स । मूलं बाहा विक्खंभगुणिय पयरं हवइ ताहे तीसहिया चोत्तीसं, कोडिसया लक्ख सीइ भरहद्धे । सत्ताणवइ सहस्सा, पंच सया जीववग्गो उ ॥ ६७ ॥ वेयड्ड जीवावग्गो, सत्ताणउई सहस्स पंच सया । अऊणापण्णं कोडी, इगयालीसं च कोडिसया ॥ ६८॥ २७३ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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