SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 278
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ३४ ॥ ॥ ३५ ॥ ।। ३६ ।। ॥ ३७॥ ॥ ३८ ॥ दाहिणभरहद्ध उसू, पणयाल सया कलाणुपणुवीसा । वेयड्डे पणसयरी, चउपण्ण सया कलाणं तु एग तिग सत्त पण्णरस, इगतीस तिसट्टि होइ पणनउई। सयवग्गसंगुणसो, वियाण भरहाइणं उसुणो भरहाइउसू सोहिय, विक्खंभ इगुणवीसइगुणाओ। भागोऽवि य दायव्वो, एगुणवीसा य सव्वत्थ ओगाहूण विखंभ, मो य ओगाहसंगुणं कुज्जा । चउहि गुणियस्स मूलं, मंडलखित्तस्स सा जीवा जोयणसहस्सनवगं, सत्तेव सया हवंति अडयाला। बारस य कला सकला, दाहिणभरहद्धजीवाओ जीवावग्गं उसुणा, चउरम्भत्थेण विभय जं लद्धं । तं उसुसहियं जाणसु, नियमा वट्टस्स विक्खंभं उसुवग्गं छग्गुणियं, जीवावग्गम्मि पक्खिवित्ताणं । जं तस्स वग्गमूलं, तं धणूपढे वियाणाहि धणुवग्गाओ नियमा, जीवावग्गं विसोहित्ता । सेसस्स य छब्भाए, जं मूलं तं उसू होइ जीवाविक्खंभाणं, वग्गविसेसस्स वग्गमूलं जं। विक्खंभाओ सुद्धं, तस्सद्धमिसुं वियाणाहि गुणवीसलक्खतग्गुण, जीवावगं विसोहिऊणित्तो। मूलं लक्खेगुणवीससुद्धदलसव्व उसुकरणं नव चेव सहस्साई, छावट्ठाई सयाई सत्तेव । सविसेसकला चेगा, दाहिणभरहद्ध धणुपट्टे दस चेव सहस्साइं, जीवा सत्त सयाइं वीसाइं। बारस य कला उणा, वेयड्डगिरिस्स विण्णेया ॥ ३९॥ ॥ ४० ।। ॥४१ ।। ॥ ४२ ॥ ।। ४३ ॥ ॥ ४४ ॥ २७१ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy