SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 275
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पणसट्ठि सहस पणसय, छत्तीसा इग मुहुत्त खुड्डड्भवा । दोय सया छप्पण्णा, आवलिया एग खुड्डड्भवे मलहारि हेमसूरिण सीसलेसेण विरइयं सम्मं । संघयणि रयण मेयं, नंदउ जा वीरजिण तित्थं Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पू. क्षमाश्रमण श्रीजिनभद्रगणीविरचितम् ॥ बृहत्क्षेत्र समास ॥ ૨૬. For Private And Personal Use Only ॥ ३४८ ॥ नमिऊण सजलजलहर - निभस्सणं वद्धमाणजिणवसभं । समयक्खेत्तसमासं वोच्छामि गुरुवएसेणं जंबुद्दीवाईया, सयंभूरयणायरावसाणाओ । सव्वे वि असंखिज्जा दीवोदहिणो तिरियलोए उद्धारसागराणं, अड्डाइज्जाण जत्तिया समया । दुगुणा दुगुणापवित्र - दीवोदहि रज्जु एवइया अड्डाइज्जा दीवा, दोण्णि समुद्दा य माणुसं खेत्तं । पणयालसयसहस्सा, विक्खंभायामओ भणियं एगा जोयणकोडी, लक्खा बायाल तीस सहस्सा य । समयखेत्तपरिरओ, दो चेव सया अउणपण्णा अब्भिंतरओ दीवो - दहीण पडिपुण्णचंदसंठाणो । जंबूदीवो लक्खं, विक्खंभायामओ भणिओ विक्खं भवग्गदहगुण-करणी वट्टस्स परिरओ होई । विक्खंभपायगुणिओ, परिरओ तस्स गणियपयं परिही ति लक्ख सोलस - सहस्स दोय सय सत्तवीसहिया । कोसतियट्ठावीसं, धनुसय तेरंगुलद्धहियं ॥ ३४९ ॥ ॥ १ ॥ ॥ २ ॥ ॥ ३ ॥ ॥ ४ ॥ ॥ ५॥ ॥ ६ ॥ ॥ ७ ॥ ॥ ८ ॥
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy