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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पढमंतिम पयरावलि, विमाणमुहभूमि तस्समासद्धं । पयरगुण मिट्ठकप्पे, सव्वग्गं पुष्फकिण्णियरे ॥१०८॥ इगदिसि पंति विमाणा, तिविभत्ता तंस चउरंसा वट्टा। तंसेसु सेसमेगं, खिव सेस दुगस्स इक्किक्कं ॥ १०९॥ तंसेसु चउरंसेसु य, तो रासितिगंपि चउगुणं काउं। वट्टेसु इंदयं खिव, पयरधणं मीलियं कप्पे ॥११०॥ कप्पेसु य मिय महिसो, वराह सीहा य छगल सालूरा। हय गय भुयंग खग्गी, वसहा विडिमाई चिंधाइं ॥१११ ॥ चुलसी असिइ बावत्तरि, सत्तरि सट्ठी य पण्ण चत्ताला। तुल्लसुर तीस वीसा, दस सहस्स आयरक्ख चउगुणिया ॥ ११२ ।। दुसु तिसु तिसु कप्पेसु, घणुदहि घणवाय तदुभयं च कमा । सुरभवण पइट्ठाणं,आगास पइट्ठिया उवरि ॥ ११३॥ सत्तावीस सयाई, पुढवीपिंडो विमाण उच्चत्तं । पंचसया कप्पदुगे, पढमे तत्तो य इक्किक्कं ॥ ११४॥ हायइ पुढवीसु सयं, वड्डइ भवणेसु दु दु दु कप्पेसु । चउगे नवगे पणगे, तहेव जाणुत्तरेसु भवे ॥ ११५ ॥ इगवीस सया पुढवी, विमाण मिक्कारसेव य सयाई। बत्तीस जोयणसया, मिलिया सव्वत्थ नायव्वा ॥११६ ।। पण चउ ति दु वण्ण विमाण सधय दुसु दुसु य जा सहस्सारो । उवरि सिय भवणवंतर, जोइसियाणं विविहवण्णा ॥ ११७ ॥ रविणो उदयत्थंतर, चउणवइसहस्स पणसय छवीसा। बायाल सट्ठिभागा, कक्कसंकति दियहम्मि ॥११८ ॥ एयम्मि पुणो गुणिए, तिपंच सग नवहि होइ कममाणं । तिगुणम्मि दोलक्खा तेसीइ सहस्स पंचसया ॥ ११९ ॥ ૨૪૮ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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