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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गेवेज्ज णुतरेसु, एसो य कमो य हाणि वुड्डीणं । इक्किम्मि विमाणे, दुण्णि वि मिलियाओ बत्तीसं सोहम्मि पंचवण्णा, इक्कगहाणीओजा सहस्सारे । दो दो कप्पा तुल्ला, तेण परं पुंडरीयाई Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भवणवईवाणमंतरजोइसियाणं तु हुंति भवणाई | वणेण विचित्ता, पडायझयपंनिकलियाई जाव उदेई सूरो, जाव य सो अत्थमेई अवरेण । तिय पण सत्त नव गुणं, काउं पत्तेय पत्तेयं सीयालीस सहस्सा, दोय सया जोयणाण तेवट्ठा । इगवीस सट्टि भागा, कक्कड माइम्मि पेच्छ नरा एयं दुगुणं काउं, गुणिज्जए ति पण सत्त नवएहिं । आगय फलं तु जंतं, कम परिमाणं वियाणाहि दो लक्ख जोयणाणं, तेसीय सहस्स पंचसय असिया, छच्चेव सट्ठि भागा, तिहिं गुणिए होंति नायव्वा पंचगुणे च लक्खा, सहस्स बावत्तरीओ छच्च सया । तेत्तीस जोयणाई, अण्णातीसं कलाओ य एयं कम परिमाणं, अहाइ छम्मासियं तु कालस्स । आयाम परिहि वित्थर, देवगईहिम्मि णेज्जासु चंडाए विक्खंभो, चवलाए तहय होइ आयामो । अब्धिंतर जयणाए, बाहिर परिरओ वेगाए ૧૪ For Private And Personal Use Only ॥ २०२ ॥ ॥ २०३ ॥ ॥ २०४ ॥ ॥। २०५ ।। ॥ २०६ ॥ ॥ २०७ ॥ छलक्खेग सट्ठि सहस्सा, छच्च सया जोयणाण छासीया । चउ पण्णं च कलाउ, सत्तएहिं गुणिए वियाणाहि ऊक्खट्ठ सहस्सावि य, पण्णासं गुणिय नवहिं जाणेज्जा । सत्त सया चत्ताला, अट्ठारस तह कलाओ य ॥ २०८ ॥ ॥ २०९ ॥ ॥। २१० ॥ ॥ २११ ॥ ॥ २१२ ॥ ॥ २१३ ॥
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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