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सत्तेव अपज्जत्ता, सामी सुहुमा य बायरा चेव । विगलिंदिआ उ तिण्णि उ, तह य असण्णी (अ) सण्णी ॥ ४२ ॥ नाणंतराय तिविहमवि, दससु दो हुंति दोसु ठाणेसु । मिच्छासाणे बीए, नव चउपण नव य संतंसा मिस्साइ नियट्टीओ, छ च्चउ पण नव य संतकम्मंसा । चउबंध तिगे चउपण, नवंस दुसु जुअल छस्संता उवसंते चउ पण नव, खीणे चउरुदय छच्च चउ संता । अणिआउ अ गोए, विभज्ज मोहं परं वुच्छं चउ छस्सु दुणि सत्तसु, एगे चउगुणिसु वेअणिअभंगा । गोए पण चउ दो तिसु, एगट्ठसु दुण्णि इक्कम्मि अट्ठच्छाहिगवीसा, सोलस वीसं च बारस छ दोसु । दो चउसु तीस इक्कं, मिच्छाइसु आउए भंगा गुणठाणएसु अट्ठसु, इक्किक्कं मोह बंधठाणं तु । पंच अणिअट्टिठाणे, बंधोवरमो परं तत्तो
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सत्ताइ दस उ मिच्छे, सासायणमीसए नवुक्कोसा । छाई नव उ अविर, देसे पंचाई अव विरए खओवसमिए, चउराई सत्त छच्चऽपुव्वम्मि । अनि अट्टिबायरे पुण, इक्को व दुवे व उदयंसा एगं सुहुमसरागो, वेएइ अवेअगा भवे सेसा । भंगाणं च पमाणं, पुव्वुद्दिद्वेण नायव्वं इक्क छडिक्कारिक्का - रसेव इक्कारसेव नव तिण्णि । एए चउवीसगया, बार दुगे पंच इक्कम्मि बारसपणसट्ठिसया, उदयविगप्पेहिं मोहिआ जीवा । चुलसीई सत्तत्तरि, पर्यावदसएहिं विण्णेआ
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