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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नीलाणुरागवसणा, विज्जू अग्गी य हुंति दीवा य । संझाणुरागवसणा, वाउकुमारा मुणेयव्वा ॥ ४६ ।। चमरे बली य धरणे, भुयाणंदे य वेणुदेवे य। ततोय वेणुदाली, हरिकंत हरिस्सहे चेव ॥४७॥ अग्गिसिह अग्गिमाणव, पुण्णविसिढ़े तहेव जलकंते। जलपह तह अमियगई, बीए मियवाहणे इंदे ॥ ४८ ॥ वेलंबेय पभंजण, घोसे चेव य तह महाघोसे । भवणवईणिदाणं, नामाई हवंति एयाई ।। ४९ ।। चउसट्टि सट्ठी खलु छच्च सहस्सा उ असुरवज्जाणं । सामाणियाओ एए, चउगुणा आयरक्खाओ ।। ५० ॥ सामाणियाण चउरो, सहस्स सोलस य आयरक्खाणं । पत्तेयं सव्वेसिं, वंतरवइ ससिरविणं च ।। ५१ ॥ चउरासीई असीई, बावत्तरी सत्तरी य सट्ठी य । पण्णा चत्तालीसा, तीसा वीसा दस सहस्सा ॥ ५२ ॥ पंच य छप्पि य चउ चउ, अद्वैव कमेण अग्गमहिसीओ। असुरनागाइ वंतर, जोइस कप्प दुर्गिदाणं ॥ ५३॥ तिरि उववाइयाणं, रम्मा भोमा नगरा असंखिज्जा, ततो संखिज्ज गुणा, जोइसियाणं विमाणाउ ॥ ५४ ।। तहिं देवा वंतरिया, वरतरुणीगीयवाइयरवेणं । निच्चं सुहिया पमुइया, गयं पि कालं न याणंति ।। ५५ ॥ जंबुद्दीव समा खलु, उक्कोसेणं हवंति ते नगरा । खुड्डा खित्तसमा खलु, विदेहसमगाउ मज्झिमगा ॥ ५६ ॥ हिट्ठोवरि जोयणसय, रहिए रयणाए जोयणसहस्से । पढमे वंतरियाणं, भोमाइं हुंति नगराई ॥ ५७ ॥ ૨૦૧ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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