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नीलाणुरागवसणा, विज्जू अग्गी य हुंति दीवा य । संझाणुरागवसणा, वाउकुमारा मुणेयव्वा
॥ ४६ ।। चमरे बली य धरणे, भुयाणंदे य वेणुदेवे य। ततोय वेणुदाली, हरिकंत हरिस्सहे चेव
॥४७॥ अग्गिसिह अग्गिमाणव, पुण्णविसिढ़े तहेव जलकंते। जलपह तह अमियगई, बीए मियवाहणे इंदे
॥ ४८ ॥ वेलंबेय पभंजण, घोसे चेव य तह महाघोसे । भवणवईणिदाणं, नामाई हवंति एयाई
।। ४९ ।। चउसट्टि सट्ठी खलु छच्च सहस्सा उ असुरवज्जाणं । सामाणियाओ एए, चउगुणा आयरक्खाओ
।। ५० ॥ सामाणियाण चउरो, सहस्स सोलस य आयरक्खाणं । पत्तेयं सव्वेसिं, वंतरवइ ससिरविणं च
।। ५१ ॥ चउरासीई असीई, बावत्तरी सत्तरी य सट्ठी य । पण्णा चत्तालीसा, तीसा वीसा दस सहस्सा
॥ ५२ ॥ पंच य छप्पि य चउ चउ, अद्वैव कमेण अग्गमहिसीओ। असुरनागाइ वंतर, जोइस कप्प दुर्गिदाणं
॥ ५३॥ तिरि उववाइयाणं, रम्मा भोमा नगरा असंखिज्जा, ततो संखिज्ज गुणा, जोइसियाणं विमाणाउ
॥ ५४ ।। तहिं देवा वंतरिया, वरतरुणीगीयवाइयरवेणं । निच्चं सुहिया पमुइया, गयं पि कालं न याणंति ।। ५५ ॥ जंबुद्दीव समा खलु, उक्कोसेणं हवंति ते नगरा ।
खुड्डा खित्तसमा खलु, विदेहसमगाउ मज्झिमगा ॥ ५६ ॥ हिट्ठोवरि जोयणसय, रहिए रयणाए जोयणसहस्से । पढमे वंतरियाणं, भोमाइं हुंति नगराई
॥ ५७ ॥
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