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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org दस बावीसे नव इगवीसे सत्ताइं उदयठाणाणि । छाइ नव सत्तरसे, तेरे पंचाइ अट्ठेव चत्तारिआइ नवबंधएसु उक्कोस सत्तमुदयंसा | पंचविहबंधगे पुण उदओ दुण्हं मुणेयव्वो इत्तो चउबंधाई इक्किक्कुदया हवंति सव्वे वि । बंधोवरमे वि तहा उदयाभावे वि वा होज्झा इक्कग-छक्कि - क्कारस दस-सत्त चउक्क- इक्कगं चेव । एए चउवीसगया चोवीस दुगिक्कम्मि इक्कारा मिच्छे-सगाइ चउरो सासणमीसे सगाइ तिण्णुदया छ-पंच- चउर-चउगाइ चउ - चउउदयापमत्तंता चउराइ तिणि पुव्वे दुग इक्को बायरे इगो सुहुमे । भंगाणं च पमाणं पुव्वु द्द्द्वेिण नायव्वं Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इक्क - छडिक्कारिक्कारसेव इक्कारसेव- नव-तिष्णि | एए चउवीसगया बार दुगि पंच इक्कम्मि अट्ठग चउ चउ चउरट्ठगाय चउरो य हुंति चोवीसा । मिच्छाइ अपुव्वंतो, बारस पणगं च अनियट्टी अट्टीबत्तीस बत्तीसं सट्टिमेव बावण्णा । चोलं दो वीसा, गुणेसु पयसंखचोवीसा वेयतिकसायचउगुण बारस ते जुअलद्गुणचउवीसा । चउरुदयं जा हुति अपयगुणिआ हुंति पयभेआ उवसामगखवगे पुण वीसं चोवीससतरभंगा य । वेयगि सोलस केवलदुगे आहारकायगे नत्थि सुहुमेगं सेसेसु अ मग्गणठाणेसु गुणभवा नेआ । चउवसगा य भंगा पयसंखा उदयपच्चइआ ૧૩૨ For Private And Personal Use Only ॥ १० ॥ ॥ ११ ॥ ॥ १२ ॥ ॥ १३ ॥ ॥ १४ ॥ ॥ १५ ॥ ॥ १६ ॥ ॥ १७ ॥ ॥ १८ ॥ १९ ॥ ॥ २० ॥ ॥ २१ ॥
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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