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॥४१॥
उक्कुट्ठ-पिट्ठ-कुक्कुसभेया पत्तेयमक्खियं तिविहं । तिविहे विहु लहुमासो गुरुमासोऽणंतमक्खियए ॥ ३६॥ गरहियइयरेहिं अचित्तमक्खियं दुविहमाहु साहुवरा । गरहियअचित्तमक्खियदोसेणं लहइ चउलहुयं ॥ ३७॥ अगरिहसंसत्तअचित्तमक्खियम्मि वि लहेइ चउलहुयं । निक्खित्तं पुढवाइसु अणंतर-परंपरं ति दुहा
॥३८॥ ठविए सचित्तभू-दग-सिहि-पवण-परित्तवणस्सइ-तसेसु । चठलहुय-मासलहुया अणंतर-परंपरेसु कमा
॥३९॥ अइरपरंपरठविए मीसेसु य तेसु मासलहु-पणगा। अइरपरंपरठविए पणगं पत्तेयणंतबीएसु
॥ ४०॥ सच्चित्तणंतकाए अणंतर-परंपरेण निक्खित्ते । चउगुरु मासगुरु कमा मीसे गुरुमास पणगाई तह गुरुअचित्तपिहियं सचित्तपिहियं च मीसपिहियं च। पिहियं तिहा अभिहियं चउगुरुयमचित्तगुरुपिहिए ॥४२॥ पिहिए सचित्तभू-दग-सिहि-पवण-परित्तवणसइ-तसेहिं । चउलहुय-मासलहुया अणंतर-परंपरेहिं कमा अइरपरंपरपिहिए मीसेहिं य तेहिं मासलहु पणगा। अइरपरंपरपिहिए पणगं पत्तेयणंतबीएहिं
॥ ४४ ॥ सच्चित्तअणंतेणं अणंतरपरंपरेण पिहियम्मि। चउगुरु-मासगुरु कमा मीसेणं मासगुरु पणगा साहरिए सजियभू-दग-सिहि-पवण-परित्तवणसइ-तसेसु । चउलहुय-मासलहुया अणंतर-परंपरपरेण कमा अइरतिरोसाहरिए मीसेसु उ तेसु मासलहु पणगा। अइरतिरोसाहरिए पणगं पत्तेयणंतबीएसु
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