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आउत्तवाणएणं विवाहपण्णत्ति पंचमं अंगं । छम्मासा छद्दिवसा निरंतरं होंति वोढव्वा
॥ २४॥ इत्थ य नय सुयखंधो नय अज्झयणा जिणेहि परिकहिया। इगचत्तालसयाइं ताई तु कमेण वोच्छामि
॥ २५ ॥ अट्ठ दसुद्देसाई ८, दो चउ तीसाइं १०, बारसहिं एगं ११ ।। तिण्णि दसुद्देसाई १४, गोसालसयं तु एगसरं १५ ॥ २६ ॥ बीए पढमुद्देसो खंदो तइयम्मि चमरओ बीओ। गोसालो पणरसमो पण पण तिग हुंति दत्तीओ ॥ २७॥ एया सभत्तपाणा पारणगदुगेण होयणुण्णवणा। खंदाईण कमेणं वोच्छामि विहिं अणुण्णाए
॥ २८ ॥ चमरम्मि छट्ठजोगो विगईए विसज्जणत्थमुस्सग्गा । अट्ठमजोगो लग्गइ गोसालसए अणुण्णाए
॥ २९ ॥ पनरसहिं कालेहिं पनरसदियहेहिं चमरणुण्णाए। लग्गइ य छट्ठजोगो पणनिविय अंबिलं छटुं अउणावण्णदिणेहिं अउणावण्णाइ वावि कालेहिं । अट्ठमजोगो लग्गइ अट्ठमदियहे निरुद्धं च
॥ ३१ ॥ चोद्दस सत्तरस तिण्णि उ दस उद्देसाइ तह असी सट्ठी पन्नासा चउवीसा बारस पंचसु य इक्कारा । अट्ठावीसा दोसुं चउवीससयं च पणसु बत्तीसं। दोण्णि सया इगतीसा चरिमसए चेव छण्णउयं ॥३३॥ बंधी करिसुगनामं कम्मसमज्जिणण कम्मपट्ठवणं ।
ओसरणं समपुव्वं उववा-उव्वट्टणसयं च एगिदिय तह सेढी एगिंदिय बेइंदियाण समहाणं । तेइंदिय चउरिदिय असण्णेिपणिदिमह सहिया
॥ ३० ॥
॥ ३२ ।।
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॥ ३५ ॥
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