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एवं देवसियम्मि य, स पच्चक्खाणाउ अट्ठवाराओ। पुत्तिपडिलेहणाउ, कायस्स पमज्जणाओ वि छव्वारं राईए, अप्पडिलेहित्तु पुत्तियं देइ । वंदणयं पच्छित्तं, तस्सुत्तं पुव्वसूरीहिं वारं वारं कुज्झा, दिट्ठीइ नि(य) वखणेण पडिलेहं। पणवीसं पणवीसं, पुत्ती-देहाणुभयकालं सेसाई तिण्णि आवस्सयाई, कायव्वाइं साहुव्व निय। नियवयअइयारा, जहक्कम चेव चितेज्झा आलोइऊण सम्मं, पडिक्कमित्ता तओ विसोहिज्झा। सव्वपडिक्कमणाणं, परमरहस्सं मुणेयव्वं अंगपविटुं सुयमंग, - बाहिरं तह य चेव आवस्सयं । आवस्सयवितरित्तं, कालियमुक्कालियं चेव ठाणांगे नंदीए, अणुओगम्मि य सुयस्स छब्भेया। एए जिणेहिं भणिया, अउपरं नत्थि किंचि सुयं पुच्छेमि पंचमंगल-नामेणं जो भवे महासुयक्खंधो। सो नहु लब्भइ कत्थ वि, पंचज्झयणेग - चूलाय पडिक्कमण-सुयक्खंधो, बीओ सक्कत्थवाभिहाणं तु । तइयमरिहंतचे(थे) इय,-थव-अज्झयणं चउत्थं तु पंचमगं नामथयं, छठं सुय-संथवं तह चेव। एवं अज्झयणाणि य चत्तारि य दो सुयक्खंधा भणियं दुवालसंगं, गणिपिडगं तत्थ कत्थ एयाई । मण्णामि अहं भयवं, गीयत्था तं समाइसह एयं कुणह पसायं, चइत्तु सव्ळ मणोगयं कसायं । जेणं उत्तमपुरिसा, पणयाणं वच्छला हुंति
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