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पड मइल पंक मइला धूलीमइला न ते नरा मइला । जे पावकम्ममइला ते मइला जीवलोगम्मि
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सुचिरंपि धोयमाणो बाहिरओ सुबहुएण उदएण । नवि सुज्झति मणुस्सा अंतो भरिया अमिज्झस्स जहा कालो इंगालो दुद्ध द्धोओ न पंडुरो होई । तह पावकम्पमइला उदएण न निम्मला हुंति सच्चं सोयं तवं सोयं सोयमिदिय निग्गहो । सव्व भूय दया सोयं जल सोयं च पंचमं एयं पंचविहं सोयं पंचिदिय विसोहणं । जेसिन विज्जए देहे ते मूढा सोय वज्जिया त हाएणवि तणु सोही करेई अवणेई बाहिरं पंकं । एए उदयस्स गुणा नहु उदयं सुग्गई नेइ
सच्चेण संजमेण य तवेण नियमेण बंभचेरेण । सुद्धो मायंग रिसि नय सुद्धो तित्थ जत्ताहि तित्थं जणो वि मग्गइ तित्थस्स विणिच्छियं अयाणंतो । तित्थं जिणेहि भणियं जत्थ दया सव्व जीवाणं नाणोदय पड़िहच्छं धिइ पालीयं चरित सोवाणं । अप्पा जेसि न तित्थं तिथं खु निरत्थयं तेसिं किं निग्गुणस्स तित्थं काही हिंसालिए पवत्तस्स । परधण परदार रयस्स लोह मोहाभिभूयस्स
जीवे न हणइ अलियं न जंपए चोरियं पि न करेइ । परदारं पि न वच्चइ घरेवि गंगा दहो तस्स
जीवे हिंसइ अलियं पि जंपए चोरियं पि य करेइ । परदारं चिय गच्छइ गंगावि परम्हा तस्स
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