SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 234
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पड मइल पंक मइला धूलीमइला न ते नरा मइला । जे पावकम्ममइला ते मइला जीवलोगम्मि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुचिरंपि धोयमाणो बाहिरओ सुबहुएण उदएण । नवि सुज्झति मणुस्सा अंतो भरिया अमिज्झस्स जहा कालो इंगालो दुद्ध द्धोओ न पंडुरो होई । तह पावकम्पमइला उदएण न निम्मला हुंति सच्चं सोयं तवं सोयं सोयमिदिय निग्गहो । सव्व भूय दया सोयं जल सोयं च पंचमं एयं पंचविहं सोयं पंचिदिय विसोहणं । जेसिन विज्जए देहे ते मूढा सोय वज्जिया त हाएणवि तणु सोही करेई अवणेई बाहिरं पंकं । एए उदयस्स गुणा नहु उदयं सुग्गई नेइ सच्चेण संजमेण य तवेण नियमेण बंभचेरेण । सुद्धो मायंग रिसि नय सुद्धो तित्थ जत्ताहि तित्थं जणो वि मग्गइ तित्थस्स विणिच्छियं अयाणंतो । तित्थं जिणेहि भणियं जत्थ दया सव्व जीवाणं नाणोदय पड़िहच्छं धिइ पालीयं चरित सोवाणं । अप्पा जेसि न तित्थं तिथं खु निरत्थयं तेसिं किं निग्गुणस्स तित्थं काही हिंसालिए पवत्तस्स । परधण परदार रयस्स लोह मोहाभिभूयस्स जीवे न हणइ अलियं न जंपए चोरियं पि न करेइ । परदारं पि न वच्चइ घरेवि गंगा दहो तस्स जीवे हिंसइ अलियं पि जंपए चोरियं पि य करेइ । परदारं चिय गच्छइ गंगावि परम्हा तस्स ૨૨૫ For Private And Personal Use Only 11 86 11 ।। ४९ ।। 1140 11 ॥ ५१ ॥ ॥ ५२ ॥ ॥ ५३ ॥ ॥ ५४ ॥ 1144 11 ॥ ५६ ॥ ॥ ५७ ॥ ॥ ५८ ॥ 1148 11
SR No.020962
Book TitleShastra Sandeshmala Part 21
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy