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गंधप्पिओ कुमारो कीलंतो नइजलम्मि सेच्छाए । विसगंधेहि निहणिओ सवक्किमायाइ मायाए सोदासनामनिवई पावो माणुस्समंसरसलोको । इह लोए रज्जाओ भट्ठो अ भवे पणट्ठो अ सुकुमालियाइ भत्ता फासिदिअगिद्धिपरवसो निवई । चुक्को रज्जसुहाओ अडवीइ दुहं बहुं पत्तो अइचंगो ललिअंगो निवरमणीरमणरइअमणरंगो। वसिओ अमेज्झकूवे नरयसरूवे चिरं कालं मुक्कलमाणसपसरा किच्चाकिच्चाइकज्जपरिमूढा । माई भइणि धूअं विसयपसत्ता निसेवंति किं वा विसयपरवसा अकज्जासज्जा अईवनिल्लज्जा । सिट्ठजणगरहणिज्जं अगम्मगमणाई न कुणंति ? कामंधनिव्विवेआ पावा मारंति भायरं मित्तं । पुत्तं भत्तारं पि हु अहो ! दुरंतो विसयसंगो जंपति अलिअवयणं मुसंति लोअंधणस्स लोभेण । किं बहुणा सव्वाइं पावाई कुणंति कामंधा संसारभमणकरणा विसया विसए विसेविया पावा। दुक्खाइं अविसए पुण इहयं पि हु दिति णेगाई संपइदंसी मुद्धो विसयंविलुद्धो विणस्सए तुरिअं। करिदेहमंसगिद्धो व्व वायसो जलहिजलमज्झे महुबिंदुसायसरिसे सुतुच्छविसएसु लालसामूढा । नाणाविहाइं विसहति दुक्खलक्खाई तिक्खाई। जह कागिणीइ कज्जे मूढा हारंति रयणकोडि पि । तह विसयसुहे बद्धा मुद्धा हारंति सिवसुक्खं
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