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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ २३ ] उस वक्त सिंध का राजा दाहिर वा धीर था । वह मुसलमानों के अफ़सर मोहम्मद कासिम से कई लड़ाइयाँ लड़कर सन् ९३ (७६८) में मारा गया । मोहम्मद कासिम ने सिंध फ़तह करके उसकी दो बेटियों को लूट के सामानों के साथ वलीद खलीफ़ा के पास राजधानी दमिश्क में भेजा। उन्होंने खलीफ़ा से कहा कि मोहम्मदक़ासिम ने हमको तीनरात अपने पास रक्खा है क्या मुसलमानों में यह दस्तूर है कि मालिक से पहले नौकर लोग ऐसी चामचारी कर लेते हैं। खलीफ़ा ने खफा हो कर हुक्म लिखा कि मोहम्मद कासिम को गाय के चमड़े में सीकर भेज देवें । जब इस तरह उसकी लाश खलीफ़ा के पास पहुँची तो उसने उन लड़कियों को दिखाकर कहा कि मैं नालायकों को ऐसी सज़ा देता हूँ। लड़कियों ने कहा कि बादशाह को अपने पराये की बात समझ कर काम करना चाहिए । हमको मालूम हो गया कि बादशाह में प्रकल तो नहीं है परन्तु भागबल से ही राज करता है । मोहम्मद कासिम और हम तो भाई बहन के समान रहे थे। उसने हमसे कुछ अनीति नहीं की थी परन्तु उसने हमारे बाप-भाइयों को मारा था। हमारा राज छोना था। हमको बादशाही से बांदीपने के दरजे पर पहुँचाया था। इसलिए हमने यह तुहमत लगाकर अपना बदला ले लिया। __ इस तरह मोहम्मद कासिम जिसने दो ही वर्ष में मुसलमानी धर्म की धाक सिंध से कन्नौज तक पहुँचा दी थी सन् ९६ ( सं० ७७१ ) में मारा गया और उसके पीछे सिंध में सूमरा जाति के राजपूत राज करने लगे । जब शहाबुद्दीन गोरी ने लाहौर और मुलतान फ़तह किये थे तो अपने एक गुलाम नासिरुद्दीन For Private and Personal Use Only
SR No.020950
Book TitleYavanraj Vanshavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Kayastha
PublisherIndian Press Prayag
Publication Year
Total Pages43
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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