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रोम ॥ पंड पोतां प्रथविनेव्योम ॥ पंडराव नेवलांमुख गजेनेजो ता मांजा येछे फरव ॥ ३॥ रव र मुरखा सांबाजेकांना प्रतिदिवोछेव |रवेवान ॥ केनांखाननाजे वांछे मुख धयांतन देवाच्प्रतिदुःख ॥ ८ ॥ के नापग फरगा बेच्छे पुंगे । गर्जेमेघस मघोर उठे ॥ केना सिंहनास रिखां
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