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१९६ ॥ कांग्रेन चाले क ख डां सारने ॥ मोस्कंनांमनमांये जी खररसभो जनखावाभावे ॥ कर्पुनजाये का ये जी ॥ २ ॥ नय शोम सजेयरयर जे अंग निशोभा स कि जीत | गियातनत्व वाल रकि॥ केो काल व्यमुकिजी ॥ २२॥ चला चुचुं मां जनमुक्तुं ॥ परजरजरी कायाजी
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