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य· मति डोसाजी || लवल करतांनाजनश्रावे कड़कने शंकै ये जी || बोलतां बंधन बे से तारे ॥ जीाकालिन रैयेजी।। ६उनुं यतुं दा जरह रोए जन्मणिदेव जी संकटांगानिटेक्ने र हे जा रेन वरांधाश, जी ॥13॥ तुंजे वानका मान थि-प्रमा रेल्वे कांमजीगनथावानां नवरा मु कि । बशि रे एकठांमजी ॥ नबोल्या मुंबोजे ले दु टा। जी हासु किछु टिति ॥ बास्वनिवृराली
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