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य. न्याअंधारुंरे ॥ करे टालवा उपायह २१७ जाह ॥ उजेच तांत मथा ये दुःखिरे ॥
नोये ज्यां धनुजीपखिरे ॥ ५२ ॥ सरसरिता सागर सो ये रे ॥ घन विन्या कयां सउ की ये रे ॥ एह राधांणजे डुं मोजखिरे । नो ये कल्याणप्रभुजिप खिरे ॥ ५३ ॥ रामसोवात निवात एक ।। समकु हो ये ते समको विवेक रे ।
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