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भाइ मुखरे ॥ शुरा सर्वे पुराणों प्रशे परे ॥ कयान र्कमच्यग्रा विकरे ॥ ३४ ॥ एडविन्या बिजांडे अपाररे ॥ सोयेसी में हजारेदार रे || पापी जीवनें पिड़वा काजेंरे । धर्मरायनें राख्या महाराजेंरे । ३५ ॥ जे गणें जे वि करी लेक मागीरे ॥ तेनें नो गवावे ते विज्ञालिरे ॥ संज्ञमनिने दल हा
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