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य. रे ॥ जेथिन ही ये कोटी ने स्फरस रे ॥ १५७ ले मरीजमपुर जायेरे ॥ पडे दंडक नर्कमांयेरे ॥ १४ ॥ णो भाइएन के निवातरे ॥ मुखजंतुनां पांचवा सा तरे ॥ प्रतिकर करणां क राज रेगजा पापिजा गित लोकानरे ॥ १५॥ ॥ खाउँ खाउँ खाउ राम करे रे ।। वण वधु देवच कां भरे रे ।। लिखी डाडें दिश
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