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नाखि किरख वरावे | दइमार मु रखें च च रावे ॥ २७ ॥ कड़े पापकरतो तुंपा रिग ॥ जमना दंड ने जुग जांगि ॥ ते तो साचांथियांपुन्यपाप ॥ हवेसु खेभोगव्य तुंच्या प ||३०|| फरवसर वेगयुंछे म टि ॥ च्प्रा ज्यु एकजुंदूःख उलटि राज्य दिवस रोलां रोता ॥ |दनजाशेच उ दुःखोतां ॥ ३१ ॥
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