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य. निरागतिक ॥ वलियाजीकमांदि १३७ सुख ॥ दिये अल पजीवनेदुःख ॥ | २२॥ चरमांकडर्जुन बाजेदु बगा मांखि किडीच्या दिते ॥प पंखीस लादिकवलि ॥रावां मासांनंतुबउ मलि ॥ २३॥राद पापे पडे अंधऊप ॥ मांतितमं दुःखरूप ॥च लिखा लांजंतु बप्रा विबल गेांग मां
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