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राज्य दुर्ग द्वारस्कारकमली ११५ कनकक भाडे शोभेले घरणी व लि ब्रह्माना पुत्र जे वार॥ श्रवणदेवताबे गळे शर॥ १९ ॥ पित्रगराजे अनिवा तदते नागपुरुष सत्यवादी ॥ ते मापिशिष्ठां जे इयां ॥ तेनें भावें नव पातियां ।। १२॥ तियां पुन्य वाजी जिव जाये ॥ देखे विष्णु समधर्मराये
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