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य. ४५॥भामोतुभांगबाभुख ॥ १०८ सुनेंजोइन्वरन वलेले सुख ॥ जालें हमणां जायें तुनें वादि॥ पाखा शंतु नें नव रावि ॥ ४६ ॥ तियांश जल हिमसर खां ॥ तेनोवरसा वे मायैव र्षा । तेणें भी निजी
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वलिउडे टाउन प्रापि होयकांम लि॥ ४७॥१ सांथिच जावे मगे ॥
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