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| २४ ॥ नमले त्यांउधारे ॥ नैकरे को ये दंड मां वारुरे ॥ यांतीक र्मक स्पंजे गोंजे दुरे ॥ भोगचबुंप छेजो ते बुंरे ॥ जेजे खुलायो तुभातुरे ॥ तेनुंवां चिदेखा डिसेंप्रन्यायें असत्यदे
खार्तुरे ॥
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हरे ॥ क स्पोच्या सत्य स ग सुने हरे॥ २६|| ते तोरी बांछेतीयांने तीयारे ॥
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