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| संगे खरचि ॥ जे मांस व नोल व लेना नई ॥ ३३ ॥ वाद व समिति करवलि ॥ जीयां झोन खां एय न हिंप्राप ।। प्यास भुख नुं को ए पुच्छे ॥ दिये मा र सो बौधरणी ॥। ४० एहमा रग मांजेगा मछे ॥ तेनां ते क इंदवे नाम ॥ सोजरछे दंड नां नं बिजांते अनेक गांम ॥ ४१ ॥ प्रथ
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