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य. धच्मायो ॥ तेपणा मर्मनन्यलयो। ६६ ९९० अछेदयद अखंड राह ॥ अक्षरब्रह्म के वाय छे। ते मांचि आजीवख स्त्री ॥ एके चानो कांइया यछे ॥ १२ ॥ वलिभलोजी वजा ब्रह्ममां ॥ तारे कोयक दनखर शेखरे ॥ खरशुभावब्रह्ममां रव चित ॥ तारें हरखशोकानें करो
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