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य. डिने प्रां रियो ॥ पांमेन हिले वारद ||२२|| सउ मलि हवे सांभली ॥ कटुं कंदर कथा सार ॥ जे शुणिग्राजी व नो ॥ निश्वे हो ये निस्तार ॥ २३ ॥ ते तो प्रत्यक्ष त्र जुने पामियें ॥ कांती ते नाम लेल जंन मले ॥ जन्म मरण नुं दुख जीवनें ॥ तेहवारें तर्त्त रखे ॥ २४ ॥ ते दष नुजुग जुग मांदिच्य खंड रहेज
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