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य. पांमे दुखनजाये मुखकथा ॥ नोये ५३ नकस्येो रामविच्यार ॥ जे में रखो यो
राज्ये अवतार ॥ ४३ ॥ मु किन्याये में कि धोम न्याये ॥ पिउनांरांकनें बांक विन्याये ॥ सान्वासदगुरु संतन से व्या ॥ शेव्या ते निशस्यामुज ने बा ॥ |४४ ॥ जेनां पंचविषयें हस्यांजां ॥ धन्यवियेत राजे चांगा ॥ फ
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