________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
तिलवाव्या ॥ रामच्या विद्येस्योपापि प्रा लि ॥ मारोमा रोक हे मुखवांशि ॥ ३६ ॥ दइदंड में काटजी बारु ॥ रखे करता वेव्य जगास्व ॥ रुधि हार दियोब उ दुख ।। पामे पिडाभुनी विमुख ॥ ३७॥ तारें बेग विकांनद्वारें ॥ किधुंबंधावा नुं तारे ॥ केोकान मांस पोका
१८
For Private And Personal Use Only