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(५) बावन जिनालो चैत्य हेलो॥ बारे सो बारो तरे प्रजू थाप्या नयोउयोत हेलो॥ पार्श्वगा॥संघवी सेठीये चोलेसा जस लीनो जगत में जोय हेलो ॥ वारे सो पावन जला बिंब तोरणसुधा जोय देखो॥पार्श्वगा॥ गुरु गौतम ने नितनमुं मारे सद गुरु सदा सहाय हलो ॥ शासणरीसानिधी करे सदा नैरव चक्रेश्वरी माय हेलो ॥ पार्श्व ॥6॥
॥ ढाल चौथी॥ ॥ श्राज गई थी समोवसरण में ॥ एदेशी ॥ ___यात्रा निनाएं किनी जुगतसुं उसट नाव मन श्रांणीरे ॥ बहजार उपर क्यासी जिनबिंब सगला जोईरे ॥ जात्रा ॥१॥ रंग मंमपरलियामणो रचियो उणमें नाटक वणियोरे॥ काचकाम सोनेहरी सांचो जाणे मिनोज मियोरे॥ जात्रा॥२॥अगाई महोत्सव किनो उमंगसु धवल मंगल वरतायारे ॥ सत्तरजेद पूजा जणीसुंदर शाली जाण नृप धायारे॥ जात्रा॥३॥ फागुण वदि दशमी सिझियोगे श्वस्तिक मंगल की नोरे॥अष्टव्य से पुजन करके नरनवलावोलिनोरे॥ जात्रा ॥ ४ ॥ सातश्राविका रूपकुंवरसंग यात्रा
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