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( १९ )
चंरुते जाव || श्री जिन० ॥ १६ ॥ जवि० षटव्यरुवारा कोसकी प्रदक्षणा दीनी दोय || श्री जिन० ॥ भवि० यात्रा कीनी सहुजुगतिसुं मनकारी पुरी खास ॥ श्री जिन० ॥ १७ ॥ जवि० विनय वंत देखो विंदणीजी उमराव कुंबर है नाम ॥ श्रीजिन• ॥ जवि० सयजगण से सतरे पोष कृष्ण पंचमी गुरुवार ॥ श्री || जिन० ॥ १७ ॥ जवि० वृद्धिचंद यात्रा करी मन आणंद हर्ष पार || श्री जिन जेटीयेजीहो के नविजन नेटो चित लगाय ॥ १९ ॥ इति पदं संपूर्णम् ॥
॥ सहियांए नेमिश्वर वनडे नेगिर नारीजातां राखलीजो चालमे ||
सदियांए अमिय ऊराजिनराज चंदाप्रभु चित वस्वाहेलो रतनपुरी मे जेटियाहेलो सदियांए अमिय ऊराजिनराज चंदाप्रभु चित्त वस्याहेलो || १ || दक्षिणवामे पाशजी हेलो सदि० मनमोहन महाराज देख्यां दरखेदियोहेलो देख्यां० सहि० ॥२॥ चोवीसे जिनराजनीदेलो सहि० सेवासारे हमेश पूजो पद मावती हेलो पूजो० सहि० मी० ॥३॥
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