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पायाहै ॥ पा० ॥ ६ ॥ षटमेचर्मध्यायकेमुनिवर पठविचारमनध्यावतहै सातसंदूररहेमुनिनिसदिन सातनयेचितलावतहै पा० ॥ ७॥ अष्टदायेकरअ ष्ट उपार्जे ताकोध्यानमुजन्नायाहै धेयविणध्यानध्या नविणव्याता अलगाधानवतकहायाहै पा० ॥८॥ राजविणवस्तिवस्तिविणराजा गुरु विणज्ञानकहा याहै कहेजिनदासपूजोन्नविन्नावे तरणतारजिनपा याहै पा०॥९॥ उगणीससैबत्रीसासुवदि त्रीज दिनेगुणगायाहै जात्रासफलन्नईप्रनुदखत मनबंबि तफलपायाहै पा० ॥ १७ ॥ इतित्री समाप्तं ॥ ॥ अथ श्रीशवंतीपार्श्वनाथस्तवन लिख्यते ॥
॥ आदअरेनामबै ॥
॥ रागमनात एथवा ठुमरी ॥ श्रीअवंतीपासमोयेन्नेटे ॥ गुणगावूउछाएरे रागतजीवीतरागनयेप्रभु जीलेशिवसरमाएरे श्री० ॥ १ ॥ वृथाअजलंकालगमायो धिगसतसंगनपाएर चंपकछोडथुअरतलवैठो दहतिगपणनध्याएरे श्री० ॥ २ ॥ पांचछोडकेपांचसुमोयो रेवतरत्नलहाएरे खरघूघूपरेसमजविना
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