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निमान षटत्रीखंडनोक्ताअंतेगये नघमपणे रेमसान अ०॥२॥ देवकदेवगुरुकगुरुकी मित्रामित्रनजान तीर्थपतीसरणं अवपाक करूपजाधरिमान अ० ॥ ॥३॥पंच रूवजिनहरसंपटिक उजयंतिकअधिष्टाये अन्निनंदनरत्नेसरामेश्वर अंगुष्टमजिनराये अ०॥४॥ विनाशक आरोपजिणंद सुविधाप्रदत्तकुमार सर्वशै लप्रभंजनसौन्नाग्य दिनकरत्रताधिकार अ० ॥५॥ सिधिकरसारीरिककल्पद्रम नीतीर्थादिफलेस कहे जिनदासनीजिनसेवत मिटजायेजगतकलेस अ० ॥६॥ इति समाप्ता ॥ ॥ जलचंदनपुष्पधूपनै रथदीपाक्षतकैर्निवेद्यवस्त्रैः ॥ उपचारवरैर्वयंजिनेन्द्रानू रुचिरैरद्यमुदायजामहे ॥ अथ सतरमीपूजा ॥ दोहा ॥ सतरभेदेचारित्रमुनि पालेभातमकाज आपदयाजिणादरी अपरदया समाय ॥ १॥ ऐरवतजंबूतणूं वर्तमानजिनच द इंद्रपरेशनिक्षेकरो पामवाशिवसुखकंद ॥ २ ॥ रागधन्यासरी ॥ संतोअचरिजरूपतमासाए देसी ॥ संतोअवनीयोप्रभुप्यारा रहतलोकसेन्यारा संतो० एटेक ॥ अनंतानंतज्ञानकेधारक चारित्रगुणभंडारा दर्शणबेगलोकालोकमेंजस निरखेज्यंनिजकरधारा सं०॥१॥जगकोमल जायसबजलमैं तोइनिर्मलजल सारा त्यंअघमेलहस्योसबजगको आपनिर्मलशवि कारा स० ॥ २ ॥ नयनिहपाकरणीश्रेणी प्ररूपि तउपगारा यात्रालंबग्रहीकेईपौचे शिवपुरनगरम
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