________________
R
के ज्यूंबिप्रमनेपबतावतहै ज्यूंउनमंतग्रहीगोसाले अंतसमयेपछतायाहै अतिलोभेज्यूसभूमचक्री नर कतणादुखदेख्याहै सु० ॥२॥ पूर्वपुण्यकल्लोलप्रयो गे श्रीजिनदर्शगपायाहै कामकुंनतुजकरचढायन वि सुरनरमुनिवरध्यायाहै सु०॥३॥ पनचंद्ररक्तां गअयोगिक सर्वार्थरिषिनायाहै येहरिनद्रनीगणा धिपजिन पारत्रिकब्रह्मपायाहै सु० ॥ ४ ॥ मुनिंद्र दीपकराजरिषीस्वर विशाषअचितितगायाहै रवि स्वामीसोमदजयमोक्ष अग्निन्नानुसेसवायाहै सु० ५॥ धनुकांगत्रीरोमाचितजिन मुक्तिनाथकहाया है प्रसिश्रीजिनेसजणंके जिनदासेगुणगायाहै सु णसुणचेतन०॥ ६ ॥ इति समाप्ता ॥ जलचंदनपुष्पधूपनै रथदीपाकृतकैर्निवेद्यवस्त्रैः॥ उपचारवरैर्वयंजिनेन्द्रान् रुचिरैरद्यमुदायजामहे ॥ अथ चौदमीपूजा ॥ दोहा ॥ चौदनियमनितचित धरो चौदेभेदविचार । चौटमेचढवाकारणे चौदमि पूजासार ॥ १ ॥ धनधनचौदेपर्वधर नद्रवाहुगुण धाम । अनोपमज्ञानप्रकासियो उपगारीअनिराम २॥रागदीपक कानको जिनकीरे पूजा अमृतवेली एदेशी ॥ ध्याताकूरेप्रभुबंबितदेवे सीचेनावन्नवी प्राणी श्रीजिननामकल्पवृहप्राणी ॥१॥ जाहाजा हीपरतहेंयाकी होवतनिरविषनोमी फरसकीयेहो येशीतलता सुगंधेवरेशिवनोमीत्री० ॥२॥ भक्ति कियेअमरपदपामे ज्ञानअनंतोउपावरे श्रीपदापद
-
-