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॥ सूचनापत्रम् ॥
नम्र सूचन
इस ग्रन्थ के अभ्यास का कार्य पूर्ण होते ही नियत समयावधि में शीघ्र वापस करने की कृपा करें. जिससे अन्य वाचकगण इसका उपयोग कर सकें. आपोथीनूंनाम श्रीविवेकसार राखवानूं कारण बे जे श्री चंचलगच्छपती पूज्यन्नहारकश्रीश्रीश्री विवेकसागरसूरीश्वरांजी विराजते बपावी तथा विवेकसंयुक्त ग्रंथो बपाव्यावे तेथी विवेकसार ए हवोनाम राख्योबे ॥
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प्रापोथीयो १००० ज्ञानोपकारअर्थे अथवा श्री सातक्षेत्रना हिसाबें छपावीले तेनी कीमत रुप या बे राखवामां आवीबे परंतु श्रीयती साधु मुनी गुणीजनने मुंबईमध्ये साह नरसी खीअसीनी दु कानथी तथा कच्छ देशमध्ये जस्को बंदरमां मा री माताजी लालबाई पासेथी मुफत मलसे ॥
सही हीरजीहंसराज द० खुद ॥