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रा चार वाणिया मित्रहता तेणें साथे दीक्षा ली धी चारित्रपालतां एकदिने चारजण वैनारगिरीथी मोडाथका नीकल्या गाममां आवानणी तेने मार गमां शावते सूर्य अस्त पाम्यो तिहां कायोत्सर्ग ऊभा रह्या रातें ठाढ अतिशयपडी ते वेदनाथकी चारे कालने प्राप्तहमा शुन्न परिणामे चवी देव लोके पोता तिम सर्व साधुएं शीतपरीसह सहवो ७ उन परीसह ऊपर अरणक मुनीनी कथा कहीछे, तगर नगरना दत्तसेठे पोतानी भद्रास्त्री तथा पर णक सहित ही दीक्षा लीधी चारित्र पालतां दत मुनि देव थयो पढे शरणकमुनि चारित्रथी चूकी बार वरस सुधी एकसेठने घरे रह्या संसारी सुख नोगव्या पकेमाताने वचने प्रतिवोधपामी अगन धगती शिला ऊपर शणसण करी उन परीसह सही शुन्नन्नावे चवी देवलोके पौता ॥ ८॥ ॥
डांस मसा परीसह ऊपर चंपा नगरना श्रमण नद्र राज ऋषीनी कथा कहीजे, जे तमुनि एकदा प्रस्तावे एटवीमायें कायोत्सर्ग रह्या तिहां डांसा नो उपद्रव शती थयो तेणे शरीर माहें केद कीधा पण साधु निश्चल नावें रह्या तिहां नरकनिगोद ना दुखनी विचारणाकरी थिरचित्ते काल करी देव थया ॥ ९ ॥
अचेलपरीसहऊपर सोमदेवमुनिनी कथाकहीछे, एकमुनियें कालकीधो तेने दागदेवाअर्थे लेई जा
समानाAIRAMA
RAHAmari