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त्र्याणो, वेश्याएं कह्यो हां महाराज! आणुं इम कही बीको काली कपट श्राविका थर्ड रथवेसीने गई तेहने वांदी गणिका बोली जिहां देवगुरु होय तिहां वांदी बहिरावी जीमूं तेमाटे तुम्हे मया करो सू ऊती जातपाणी बहिरो एहवो कही घणें प्रग्रहें नेपाल मिश्रित मोदक दीधा, तेणं साधुने प्रतीसार थयो वेश्यायें वैयावचकरी लाज लो पात्री साजो की धी, तिवारें साधु बोल्यो, अहो वेश्या मांग वेश्यायें कोल शपथ लेई कूलवा लूओ कोणिक पास प्रायो, कोणिक बोल्यो हो कुल वालूबा ! तिमकार जिम विशालानगरी जिले, तिवारें कूलवालुग्यो निमिलियानो वेशकरी नग री मांहि गयी, ज्ञान बले जाण्यो ए मुनिसुव्रत स्वामिना स्तंभनी महिमाथी नगरी नथी जाजती, तेहिवे नगरना लोकें निमिती पूछो, अहो नि मितिया ! ग्रानगरीनो विरोध किवारें मिटे, तेणे कह्यो, ए स्तंन उपाडी नाखस्यो तिवारें कटक पाक्छो जास्ये, एहबो लोकाने कह्यो, कोणिकना कटकने संकेत कीधो अमुकडीवेला एक मुकाम पाबो दीज्यो एम कही मुनिसुव्रत स्वामीनां स्तंन खणावी नाख्यो तिवारे कोणिक पाक्को आवी न गरी जांजी हार देवताएं संहरी लीधो हाथी खाई मे बली मूओ कूलवालुओं मरी दुर्गतिगयो, ए विनीत ऊपर कूलवालुछानो दृष्टांत ॥