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(ग ) करके मनुष्य योनि सार्थक करो । अपने हृदय पर नीचे लिखी कविता लिखलो और गांधी के आदेश को सामने रखकर आगे बढ़ो
" जिस को न निज गौरव तथा, निज देश का अभिमान है। ... वह नर नहीं, वह पशु निरा है, और मृतक समान है ।।
सेवकः
मुरार ( गवालियर होलिका पौर्णिमा
श्याम लाल वैश्य सम्पादक 'नारद,
तथा भू. पू. सम्पादक 'मुनि'
।
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