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१) श्रीवीतरागायनमः ।। * आमका*
मनुष्य जीवन को आदर्श बनाने के लिये, उसे कर्तव्यवान बनाने के लिये ऐसे ग्रन्थों की आवश्यकता है जिनसे हमें आगे बढ़ने के लिये मार्ग मिले । महात्माओं के कर्त्तव्यशाली पुरुषों के जीवन की घटनाएं मनुप्य को इस योग्य बनाती हैं। महात्माओं के चरितों सेही भविष्य जीवन का संगठन होता है पूज्य पुरुषों और महात्माओं के चरितों के अनुकरण करने सही हम आगे बढ़ सकते हैं। जीवन को कर्तव्यशाली, महान् और पूज्य बनाने का इस से सरल और कोई दूसरा साधन नहीं है। शिवाजी, गारफिल्ड और लिंकन आदि महात्मा भी चरितों के पढ़नेसे ही ऐसे प्रसिद्ध महात्या हुये। बालकों के ऊपर जीवन चरित्रों का बड़ा प्रभाव पड़ता है।
हिन्दी में जीवन चरित्रों का प्रायः अभावसाही है। देशोत्थान के लिय राष्ट भाषा होनेवाली हिन्दी में ऐसे ग्रन्थों का बाहुल्य होनाचाहिये जिससे देशका वास्तविक उपकार हो और भविष्य संतान अपने पितामहों के आदर्श पर चले तथा उनके अपूर्ण रहे हुये कार्यों को पूर्ण करें। पुस्तक प्रकाशकों को अवश्य इस ओर ध्यान देना चाहिये।
संसार में अनेकों महापुरुप होगये हैं जिन्हों ने अपना सारा जीवन मनुष्य समाज की सेवा में ही बिताया है। क्षण
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