________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
. (१७) में ऐसी सुन्दरता और स्पष्टता से पैरवी की गई कि नीचे की अदालत का फैसला रद होकर जैनियों के पक्ष में फैसला मिला इस प्रकार पवित्र तीर्थ क्षेत्र की इस अत्याचार से रक्षा हुई। इस बार भी मि० गांधी के हाथ में लिए हुये कार्य की विजय हुई । यह मि० बोरचन्द की. दूसरी बिजय थी इस समय से बीरचन्द सब की दृष्टि में आदर से देखे जाने लगे । और सब ने इन के प्रति कृतज्ञता प्रगट की।
चिकागो विश्व धर्म परिषद इसी समय अमेरिका के चिकागो नामक शहर में पाश्चात्य विद्वानों ने संसार भर के सब धर्मों की महासभा बैठाने का उद्योग किया था। प्रत्येक धर्म के प्रतिनिधियों को आमंत्रण दिया गया था। हिन्दुस्तान से भी प्रत्येक धर्म के अलग अलग प्रतिनिधि गये थे । जैन धर्म का भी एक प्रतिनिधि भजने के लिये श्वेताम्बर जैनाचार्य श्री विनयानन्दनी सूरे (आत्माराम जी) के पास निमन्त्रण आया था जैन शास्त्रों के अनुसार साधुओं को सामान्यता समुद्र यात्रा का निषेध है। अतएवं
आचार्य जी ने प्रतिनिधि भंजने का पश्न जैन ऐसोसियेशन पर डाल दिया । ऐसोसियेशन ने जब इस प्रश्न पर विचार किया तो प्रतिनिधि होने के लिये 'बीरचन्दः ही उपयुक्त समझ गये
और वे ही प्रतिनिधि निर्वाचित किये गये। जैन धर्म के तत्वमय स्वरूप को समझना कठिन हैं फिर भी उनके लिये और भी कठिन था । अतएष मि० वीरचन्द जैन धर्म और जैन तत्व का ज्ञान संपादन करने के लिये श्री मद विजयानन्द 'सरि ( स्वामी आत्माराम जी) के पास गये और उन से पढ़ने लगे
For Private and Personal Use Only