________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( ६ )
गये। वहां की शिक्षा समाप्त करके वे भावनगर के अंग्रेजी स्कूल में अंग्रेजी पढ़ने के लिये गये । वीरचन्द अपने दरजे में बडे दक्ष और बुद्धिमान विद्यार्थी थे । आप ने केवल १६ वर्ष की ही अवस्था में सन् १८८० ईस्वी में मेट्रिकुलेशन परीक्षा पास कर ली। पश्चात राबवजी भाई ने उच्च शिक्षा दिलाने के अभिप्राय से उन्हें बम्बई के एलफिस्टन कालेज में भरती करा दिया। वहां वीरचन्द मन लगाकर पड़ने लगे और प्रति वर्ष परीक्षा में पास होते चले गये । सन् १८८४ में बी० ए० परीक्षा में द्वितीय श्रेणी में बडेमान से पास हुए। श्वेतांवर समाज में वीरचन्द ही पहिले पहिल बी० ए हुए थे, इस लिए सारे समाज की ओर से आप को अभिनन्दन मिला । समाज हितैषी अगुवाओं को आप के बी० ए० होने पर बड़ा आनन्द मिला ।। आप का मंत्रित्व
सन् १८८२ में श्वेतांबर जैनियों की ओर से * जैन
* इस भारत वर्षीय जैन समाज के उद्देश्य ये थे :( १ ) समस्त हिन्दुस्तान में भिन्न २ भागों में बसने वाले सर्व जैन भाईयों में मित्रभाव का प्रचार करना ||
( २ ) समस्त भारत में भिन्न २ भागों में बसने वाले जैन भाइयों की सामाजिक, नैतिक, और मानसिक उन्नति हो । ऐसा सहयोग स्थापित करना और जैन समाज में शिक्षा, नीति और सद्गुणों का प्रसार ( वृद्धि) करना ।
( ३ ) जैन धर्म के ट्रस्ट फंड और धर्म खातों के कैमर देख रेख रखना ।
For Private and Personal Use Only