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विपाकसूत्र हिंदीभाषाटीकासहित
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दुःखविपाक नामक प्रथम श्रुतस्कन्ध
विनम्र विनिवेदन पाठक महानुभावों से सानुरोध निवेदन है कि वे श्री विपाकसूत्र का स्वाध्याय करने से पूर्व परिशिष्ट नं. ३ को देख कर अशुद्ध स्थलों को शुद्ध कर के पढ़ें।
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