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नवम अध्याय ]
हिन्दी भाषा टीका सहित ।
[९५
जायविम्हए कोडुवियपुरिसे सद्दावेति सद्दा वित्ता एवं वयासी-कस्स णं देवाणुप्पिया ! एसा दारिया, किं च णामधिज्जेणं १ तते णं ते कोडुम्बिया वेसमणरायं करतल० जाव एवं वयासीएस णं सामी ! दत्तस्स सत्थवाहस्स धृया कण्हसिरिअत्तया देवदत्ता णामं दारिया रूवेण य जोव्वणेण य लावएणेण उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा ।
पदार्थ-से णं-वह । ततो-वहां से । अणंतर- अन्तर रहित । उव्वहिता-निकल कर । इहेध-इसी। रोहीडए-रोहीतक । णगरे-नगर में । दत्तस्स-दत्त । सत्यवाहस्स-सार्थवाह की। काह सिरीए-कृष्णश्री । मारियाए-भार्या की । कुच्छिसि-कुक्षि में । दारियनाए-बालिका रूप से । उठवन्ने - उत्पन्न हा अर्थात् कन्या रूप से गर्भ में आया। तते ण-तदनन्तर । सा- उस । कण्हसिरीकृष्णश्री ने । नवराहं मासाणं- नव मास । बहुपडिपुराणाणं- लग भग परिपूर्ण हो जाने पर । दारियंबालिका को । पयाया -जन्म दिया, जो कि ! सुकुमालपाणिपायं-सुकुमार-- अत्यन्त कोमल हाथ, पैर वाली । जाव-यावत् । सुरुवं-सुरूपा-परम सुन्दरी थी। तते जं-तदनन्तर : तीसे-उस । दाग्यिाएबालिका के । अम्मापितरो-माता-पिता। निबत्तवारसाहियाए -जन्म से ले कर बारहवें दिन । विउलं-विपुल । असणं ४-अशन आदि आहार । जाव-यावत् । मित्त०-मित्र, ज्ञाति, निजकजन और स्वजनादि को भोजनादि करा कर । नामधेज्जे-नाम । करेंति-रखते हैं । होउ णं-हो । दारियायह बालिका । देवदत्ता-देवदत्ता । नामेणं-नाम से अर्थात् इस बालिका का नाम देवदत्ता रखा जाता है । तते ण-तदनन्तर । सा-वह । देवदत्ता-देवदत्ता । पंचधातीपरिग्गहिया-पांच धाय माताओं से परिगृहीत । जाव-यावत । परिवडढांत-वृद्धि को प्राप्त होने लगी । तते -तदनन्तर । सा-वह । देवदत्ता- देवदत्ता । दारिया- दारिका । उम्मुक्कबालभावा-उन्मुक्तबालभावा - जिस ने बाल भाव को त्याग दिया है । जाव -यावत् । जोधणेण य-यौवन से । हवेण य-रूप से । लावरणेण य-और लावण्य अर्थात् प्राकृति की मनोहरता से । अतीव उक्किट्ठा-अत्यन्त उत्कृष्ट – उत्तम, तथा । उक्किसरीरा-उत्कृष्ट शरीर वाली। यावि होत्या -भी थी। तते णं - तदनन्तर । सा - वह । देवदता-देवदत्ता । दारिया - बालिका । अन्नया-अन्यदा। कयाइ-कदाचित् । गहाया-नहा कर । जाव-यावत । सम्पूर्ण अलंकारों से विभूषित हो । बहुर्मि-अनेक । खुज्जाहि-कुब्जाओं से । जाव - यावत् । परिक्खित्ताघिरी हुई। उप्पिं - अपने मकान के ऊपर । आगासतलगंसि -- झरोखे में । क गतिंदूसरणं -सुवर्ण की गेंद से । कीलमाणी-खेलती हुई। विहरति-विहरण कर रही थी । इमं च णं- और इतने में । वेसमणदत्त - वैश्रमणदत्त । राया-राजा । राहाते-नहा कर । जाव-यावत् । विभूलिते-समस्त आभूषणों से विभूषित हो कर । आसं-अश्व पर । दुरुहति दुरुहित्ता-आरोहण करता है, करके । बहूहिबहत से। पुरिसेहि-पुरुषों के । सद्धिं-साथ । संपत्रुिडे-संपरिवृत -घिरा हा । आसवाहणि. याए-अश्ववाहनिका-अश्वक्रीडा के लिये। णिज्जायमाणे-जाता हु प्रा । दत्तस्त-दत्त । गाहावइस्स - गाथापति-सार्थवाह के । गिहस्त-घर के। अदूरसामतेणं-नज़दीक में से । वीतीवयति- जाता हैगुजरता है । तते णं-तदनन्तर । से -वह । वेसमणे वैश्रमण । राया- राजा । जाव यावत् । वीतीवयमाणे-जाते हुए । देवदत्तं-देवदत्ता। दारिय-बालिका को, जोकि । उप्पिं-ऊपर । अागासतलगंसो-झरोखे में। जाव-यावत् अर्थात् स्वर्ण की गेंद से खेल रही है। पाति पासितादेखता है देख कर । देवदत्तार -देवदत्ता । दारियार -बालिका के । रूवेण य - रूप से । जोव्वणेण ययौवन से, तथा । लावराणेण य-लावण्य से । जायविम्हए-विस्मय को प्राप्त हो । कोडुबियपुरिसे
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