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३४६]
श्री विपाक सूत्र
[षष्ठ अध्याय
गतियानो खारतेल्लभरियाओ, अगणिकार्यसि अद्दहियाओ चिट्ठन्ति । तस्स णं दुज्जोहणस्म चारगपालस्स वहवे उट्टियानो आममुत्तभरियाओ, अप्पेगतियात्रो हत्थिमुत्तभरियाओ, अप्पेगतियानो उट्टमुत्तभारयाश्रो, अप्पेगतियाो गोमुत्तरियाओ, अप्पेगतियात्रो महिसमुत्तभरियाओ, अप्पेगतियाओ अयमुत्तभारयाओ, अप्पेगतियाश्रो एलमुत्तभरियाओ, बहुपडिपुण्णाश्रो चिट्ठन्ति । तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे हत्थंदुयाण य पायंदुयाण य हडीण य नियलाण य संकलाण य पुजा निगरा य सरिणक्खित्ता चिट्ठन्ति । तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे वेणुलयाण य वेत्तलयाण य विंचालयाण य शिवाण य कसाण य वायरासीण य पुजा णिगरा य चिट्ठन्ति । तस्म णं दुज्जोहणस्म चारगपालस्स बहवे सिलाण य लउडाण य मुग्गराण य कणंगराण य पुजा णिगरा य चिट्ठन्ति । तस्स णं दुज्जोहणस्म चारगपालस्म बहवे तंतीण य वरत्ताण य वागरज्जूण य बालरज्जूण य सुत्तरज्जूण य पुजा णिगरा य चिट्ठन्ति । तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे असिपत्ताण य करपताण य खुरपत्ताण य कलंबचारपत्ताण य पुजा णिगरा य चिट्ठन्ति । तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स वहवे लोहखीलोण य कडसक्कराण य चम्मपट्टाण य अलपट्टाण य पुजा णिगरा य चिट्ठन्ति । तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे सूईण य डंभणाण य कोट्टिल्लाण य पुजा णिगरा य चिन्ति । तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे सत्थाण य पिप्पलाण य कुहाड़ाण य नहछेयणाण य दब्भाण य पुजा णिगरा य चिट्ठन्ति ।
पदार्थ एवं खलु-इस प्रकार निश्चय ही। गोतमा !- हे गौतम ! । तेणं कालेणं तेणं समएणंउस काल तथा उस समय में। इहेव-इसी । जम्बूद्दीवे-जम्बूद्वीप नामक । दीवे-द्वीप के अन्तर्गत । भारहे वासे-भारतवर्ष में । सोहपरे-सिंहपुर । णाम-नाम का । णगरे–नगर । होत्थाथा. बो कि । रिद्ध०- ऋद्ध-भवनादि की बहुलता से युक्त, स्तिमित-आन्तरिक और
ह्य उपद्रवों से रहित तथा समृद्ध-धन धान्यादि से परिपूर्ण, था । तत्थ णं-उस । सीह पुरे- सिंहपुर । णगरेनगर में । सीहरहे -सिंहरथ । णाम-नाम का । राया- राजा । होत्था-था। तस्स णं-उस । सीहरहस्स-सिंहरथ । रगणा-राजा का । दुज्जोहणे-दुर्योधन । णाम-नाम का । चारगपाले-चारकपाल अर्थात् कारागाररक्षक-जेलर । होत्था-था, जो कि । अहम्मिए-अधर्मी। जावयावत् । दुप्पडियाणंदे-दुष्प्रत्यानन्द-बडी कठिनाई से सन्तुष्ट होने वाला था । तस्स णं-- उस । दुज्जाहणस्स-दुयधिन । चारपालस्स-चारकपाल का । इमे-यह । एयारूवं-इस प्रकार का। चारगभण्डे-चारकभाण्ड -कारगारसम्बन्धी उपकरण । होत्था-था । बहवे-अनेक । अयकुएडीओ - लोहमय कुएडियां थीं, जिन में से । अप्पेगतियाओ-कितनी एक। तंबभरियायो- ताम्र से भरी हुई अर्थात् पूर्ण थीं । अप्पेगतियाओ-कितनी एक। तउयभरिया ओ=त्रपु - रांगा से पूर्ण थीं । अप्पेगतिया प्रो-कई एक । सीसगभरियाओ-सीसक -सिक्के से पूर्ण थीं। अप्पेगतिया प्रो-कई एक । कलकलभरियाो -चूर्णकादि मिश्रित जल से अथवा कलकल करते हुए अर्थात् उबलते हुए अत्युष्ण जल से
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