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प्राक्कथन
हिन्दीभाषाटीकासहित
पेट आदि पूर्ण हों उसे वामनसंस्थान कहते हैं। जिसे वौना भी कहा जाता है । जिस कर्म के उदय से इस की प्राप्ति होती है उसे वामनसंस्थाननामकर्म कहते हैं।
४६ हुंडसंस्थाननामकर्म-जिस के सब अवयव बेढव हों, प्रमाणशून्य हों, उसे हुण्डसंस्थान कहते हैं। जिस कर्म के उदय से ऐसे संस्थान की प्राप्ति होती है उसे हुंडसंस्थाननामकर्म कहते हैं। ५०-कृष्णवर्णनामकर्म-इस कर्म के उदय से जीव का शरीर कोयले जैसा काला होता है । ५१ नीलवर्णनामकर्म-- ,, , , तोते के पंख जैसा हरा ,। ५२ लोहितवर्णनामकर्म- , , , हिंगुल या सिन्दूर जैसा लाल ,, । ५३ हारिद्रवर्णनामकर्म- , , , हल्दी , पीला ,, । ५४-श्वेतवर्णनामकर्म- , , ,, शङ्ख , सफेद , । ५५-सुरभिगन्धनामकर्म-,, ,, जीव के शरीर की कपूर, कस्तूरी आदि पदार्थों जैसी सुगन्धि होती है।
५६-दरभिगन्धनामकर्म-इस कर्म के उदय से जीव के शरीर की लहसुन या सड़े पदार्थों जैसी गन्ध होती है ।
५७-तिक्तरसनामकर्म-इस कर्म के उदय से जीव के शरीर का रस सोंठ या काली मिर्च जैसा चरचरा होता है। ५८ कटुरसनामकर्म-इस कर्म के उदय से जीव के शरीर का रस नीम या चरायते जैसा कटु होता है। ५६-कषायरसनामकर्म-,, , , , , आंवले या बहेड़े ,, कसैला , । ६०-आम्लरसनामकर्म-,, , , , , नींबू या इमली ,, खट्टा , । ६१-मधुररसनामकर्म- , , , , , ईख , मीठा , । ६२-गुरुस्पर्शनामकर्म- ,, ,, ,, का शरीर लोहे , भारी .. । ६३ लघुस्पर्शनामकर्म-,, , जीव का शरीर आक की रुई , हलका , । ६४-मृदुस्पर्शनामकर्म-,, ,, , , मक्खन , कोमल , । ६५-कर्कशस्पर्शनामकर्म , ,
, गाय की जीभ , खुरदरा , । ६६-शीतस्पर्शनामकम-, , , , कमलदण्ड या बर्फ जैसा ठण्डा होता है । ६७ उष्णस्पर्शनामकर्म-, , , , अग्नि के समान उष्ण होता है । ६८ स्निग्धस्पशनामकर्म-, , , , घृत के समान चिकना होता है । ६६-रूक्षस्पर्शनामकम, , , , राख के समान रूखा होता है ।
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